किसान कुलविंदर परंपरागत खेती की बजाए खरबूजे की खेती शुरू कर बना मालामाल
पंजाब के इस किसान ने अपने घर की परंपरागत खेती छोड़कर खरबूज की खेती करना शुरू किया है। आज वह लोगों के लिए एक नजीर बन चुके हैं।
पंजाब के मानसा जनपद के रहने वाले एस. कुलविंदर सिंह ने अपनी बीए की पढाई समाप्त करने के उपरांत खेती करने के बारे में सोचा। उन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़ खरबूजे की खेती चालू की और आज उनका खरबूजे का व्यवसाय एक बड़े पैमाने पर पहुंच गया है।
कृषि की तकनीक के विषय में जाना
आपको बतादें, कि शुरुआती दौर में कुलविंदर सिंह पारंपरिक फसलों का ही उत्पादन किया करते थे। परंतु, वक्त के साथ उन्होंने विगत 6-7 वर्षों से सब्जी की खेती की तरफ अपना रुख किया।इसके पश्चात उन्होंने खरबूजे की खेती आरंभ की। खरबूज की खेती के संबंध में बहुत सारी तकनीकी जानकारियां वह कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों के जरिए से लिया करते थे।
पारंपरिक फसलों के मुकाबले अधिक फायदा मिला
कुलविंदर ने सर्वप्रथम वर्ष 2021 में अपने एक एकड़ के खेत में खरबूजे की खेती आरंभ की। तरबूज की खेती की शुरुआत में उन्हें बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।इस फसल में कभी पीला धब्बा रोग तो कभी फल मक्खी का आकस्मिक आक्रमण हो जाता था। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद भी खरबूजे की खेती से उनको पारंपरिक फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिला।
इस वजह से उन्होंने खरबूजे की खेती को सुचारू रखने का सोचा। प्रथम बार के कड़वे अनुभव के उपरांत उनको दूसरी बार बेहद अच्छी सफलता अर्जित हई।
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कृषि विशेषज्ञों की सलाहनुसार ही किया उत्पादन
वह आज खरबूज की खेती आधा एकड़ से चालू कर अपने 17 एकड़ की कुल भूमि पर आधुनिक तकनीक अपनाकर खेती कर लोगों के सामने सफलता की एक कहानी रच दी। इसके चलते उन्होंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा निर्मित पीएयू फल मक्खी जाल का उपयोग किया और पीले धब्बे की बीमारी को नियंत्रण के लिए प्रचंड सिंचाई से दूरी बनाई।
वह वक्त-वक्त पर अपनी उपज को बेहतर करने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से सलाह भी लेते रहते हैं।
कुलविंदर खरबूज की खेती से मोटा मुनाफा उठा रहे हैं
कुलविंदर ने अपने गांव में खरबूजे की अच्छी मार्केटिंग के लिए समीपवर्ती गांवों के किसानों को भी खरबूजे की खेती करने के लिए बढ़ोत्तरी की।खरबूजे की खेती का रकबा अच्छा होने की वजह से व्यापारी सीधे उनके खेतों से फसल की खरीदारी करने लगे और सभी कृषकों को आमदनी भी अच्छी होने लगी।
कुलविंदर के मुताबिक, आज वह खरबूजे की खेती से प्रति एकड़ 80 से 90 हजार रुपये की आमदनी कर रहे हैं।